@!! आज का विचार !!@ दिनाँक :- 31दिसम्बर 2017 • 𝕾𝖍𝖗𝖎 𝕽𝖆𝖉𝖍𝖊𝖘𝖍𝖓𝖆𝖓𝖉𝖘𝖓 𝕵𝖚 “ ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा करोति यः । लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा ॥…भगवद गीता” भावार्थ: जो पुरुष सब कर्मों को परमात्मा में अर्पण करके और आसक्ति को त्याग कर कर्म करता है, वह पुरुष जल से कमल के पत्ते की भाँति पाप से लिप्त नहीं होता॥ Share this:TelegramEmailMoreWhatsAppTweetShare on TumblrLike this:Like Loading...